UP Board 12th Class Physics NCERT Hindi Medium Solution Chapter - 13 Nuclei (नाभिक)
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Exercise
अभ्यास के प्रश्न हल करने में निम्नलिखित आँकड़े आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे :
e= 1.6 x 10-19C, N = 6.023 x 1023 प्रति मोल
1 MeV = 1.6×10-13J 1u = 931.5 MeV/c2
1 year = 3.154 x 107s
mH = 1.007825u mn = 1.008665u )
m(
He) = 4.002603 u me= 0.000548u
प्रश्न 1:
(a) लीथियम के दो स्थायी समस्थानिकों को
एवं
की बहुलता का प्रतिशत
क्रमशः 7.5 एवं 92.5 हैं। इन समस्थानिकों के द्रव्यमान क्रमशः 6.01512 u एवं 7,01600u हैं। लीथियम का परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए। ।
(b) बोरॉन के दो स्थायी, समस्थानिक
एवं
हैं। उनके द्रव्यमान क्रमशः 10.01294u एवं 11.00931u एवं बोरॉन का परमाणु भार 10.811u है।
एवं
की बहुलता ज्ञात कीजिए।
हल:
(a) माना लीथियम के किसी नमूने में 100 परमाणु लिए गए हैं, तब इनमें 7.5 परमाणु
के तथा 92.5 परमाणु
के होंगे।
∴ 100 परमाणुओं का द्रव्यमान = (7.5 x 6.01512+ 92.5 x 7.01600) u
= (45,1134 + 648.98) u= 694.0934u

=
= 6.940934u
≈ 6.94lu
(a) लीथियम के दो स्थायी समस्थानिकों को
क्रमशः 7.5 एवं 92.5 हैं। इन समस्थानिकों के द्रव्यमान क्रमशः 6.01512 u एवं 7,01600u हैं। लीथियम का परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए। ।
(b) बोरॉन के दो स्थायी, समस्थानिक
हल:
(a) माना लीथियम के किसी नमूने में 100 परमाणु लिए गए हैं, तब इनमें 7.5 परमाणु
∴ 100 परमाणुओं का द्रव्यमान = (7.5 x 6.01512+ 92.5 x 7.01600) u
= (45,1134 + 648.98) u= 694.0934u

=
= 6.940934u
≈ 6.94lu
(b) माना बोरॉन के दो समस्थानिकों की बहुलता क्रमश: x% तथा y% है, तब
x + y = 100 …….(1)
यदि बोरॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो इनमें x परमाणु
के तथा y परमाणु
के होंगे।
∴ बोरॉन का परमाणु द्रव्यमान

या 10.811 x 100 = 10.01294 x + 11.00931 (100 – x) [∵ x + y = 100
⇒ 1081.1- 1100.931 = 10.012943x – 11.00931x
⇒ – 19.831 = – 0.99637x
∴ x =
=19.9
∴ y = 100- x = 100 – 19.9 = 80.1
अत: बोरॉन में
तथा
समस्थानिकों की बहुलता प्रतिशत क्रमश: 19.9 तथा 80.1 हैं।
x + y = 100 …….(1)
यदि बोरॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो इनमें x परमाणु
∴ बोरॉन का परमाणु द्रव्यमान

या 10.811 x 100 = 10.01294 x + 11.00931 (100 – x) [∵ x + y = 100
⇒ 1081.1- 1100.931 = 10.012943x – 11.00931x
⇒ – 19.831 = – 0.99637x
∴ x =
∴ y = 100- x = 100 – 19.9 = 80.1
अत: बोरॉन में
प्रश्न 2.
नियॉन के तीन स्थायी समस्थानिकों की बहुलता क्रमशः 90.51%, 0.27% एवं 9.22% है। इन समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान क्रमशः 19.99u 20.99u एवं 21.99u हैं। नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि नियॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो उनमें नियॉन के तीन समस्थानिकों के क्रमश: 90. परमाणु, 0.27 परमाणु तथा 9.22 परमाणु होंगे।
∴ नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान
=
=
=
= 20.177 u ≈ 20.18u
नियॉन के तीन स्थायी समस्थानिकों की बहुलता क्रमशः 90.51%, 0.27% एवं 9.22% है। इन समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान क्रमशः 19.99u 20.99u एवं 21.99u हैं। नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि नियॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो उनमें नियॉन के तीन समस्थानिकों के क्रमश: 90. परमाणु, 0.27 परमाणु तथा 9.22 परमाणु होंगे।
∴ नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान
=
=
=
= 20.177 u ≈ 20.18u
प्रश्न 3.
नाइट्रोजन नाभिक (
) की बन्धन-ऊर्जा MeV में ज्ञात कीजिए। mN = 14.00307u mH = 1.00783u, mn = 1.00867u]
हल:
में प्रोटॉन = Z = 7 तथा न्यूट्रॉन
= (A – Z) = (14 – 7) = 7
न्यूक्लिऑनों का कुल द्रव्यमान = 7 x mH + 7 x mn
= (7 x 1.00783 +7 x 1.00867) u
= 14.1155 u
∴ द्रव्यमान क्षति
Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान –
नाभिक का द्रव्यमान
= 14.11550 u – 14.00307 u = 0.11243 u
अतः बन्धन ऊर्जा EB = Δm के तुल्य ऊर्जा
= 0.11243 x 931 MeV
= 104.67 MeV (∵1u = 931 Mev)
नाइट्रोजन नाभिक (
हल:
= (A – Z) = (14 – 7) = 7
न्यूक्लिऑनों का कुल द्रव्यमान = 7 x mH + 7 x mn
= (7 x 1.00783 +7 x 1.00867) u
= 14.1155 u
∴ द्रव्यमान क्षति
Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान –
= 14.11550 u – 14.00307 u = 0.11243 u
अतः बन्धन ऊर्जा EB = Δm के तुल्य ऊर्जा
= 0.11243 x 931 MeV
= 104.67 MeV (∵1u = 931 Mev)
प्रश्न 4:
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर
एवं
नाभिकों की बन्धन-ऊर्जा MeV
में ज्ञात कीजिए। m(
) = 55.934939u, m (
) = 208:980388u
हल:
दिया है, प्रोटॉन का द्रव्यमान mH = 1.007825u
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn= 1.008665u
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर
में ज्ञात कीजिए। m(
हल:
दिया है, प्रोटॉन का द्रव्यमान mH = 1.007825u
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn= 1.008665u
(i)
नाभिक का द्रव्यमान mFe= = 55.934939u
इस नाभिक में 26 प्रोटॉन तथा (56 – 26) = 30 न्यूट्रॉन हैं।
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 26 mH + 30mn
= 26 x 1.007825 + 30 x 1.008665
= 26.20345 + 30.25995 = 56.4634u
∴ द्रव्यमान क्षति Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान – नाभिक का द्रव्यमान
= 56.4634 – 55.934939 = 0.528461u
∴
नाभिक की बन्धन-ऊर्जा = Δm x 931 = 0.528461 x 931.5 MeV
= 492.26 MeV
∴ बन्धन-ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन =
= 8.79 MeV/ न्यूक्लिऑन
इस नाभिक में 26 प्रोटॉन तथा (56 – 26) = 30 न्यूट्रॉन हैं।
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 26 mH + 30mn
= 26 x 1.007825 + 30 x 1.008665
= 26.20345 + 30.25995 = 56.4634u
∴ द्रव्यमान क्षति Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान – नाभिक का द्रव्यमान
= 56.4634 – 55.934939 = 0.528461u
∴
= 492.26 MeV
∴ बन्धन-ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन =
= 8.79 MeV/ न्यूक्लिऑन
(ii)
नाभिक का द्रव्यमान mBi= 208.980388u
इस नाभिक में 83 प्रोटॉन तथा 126 न्यूट्रॉन हैं।
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 83mH +126mn
= 83 x 1.007825 + 126 x 1.008665
= 83.649475+ 127.091790
= 210.741260 u
∴ नाभिक की द्रव्यमान-क्षति Δm = 210.741260 – 208.980388
= 1.760872u
∴ नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931.5 MeV
= 1.760872 x 931.5
= 1640.26 MeV
∴ बन्धन-ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन =
= 7.85 MeV/ न्यूक्लिऑन
इस नाभिक में 83 प्रोटॉन तथा 126 न्यूट्रॉन हैं।
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 83mH +126mn
= 83 x 1.007825 + 126 x 1.008665
= 83.649475+ 127.091790
= 210.741260 u
∴ नाभिक की द्रव्यमान-क्षति Δm = 210.741260 – 208.980388
= 1.760872u
∴ नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931.5 MeV
= 1.760872 x 931.5
= 1640.26 MeV
∴ बन्धन-ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन =
प्रश्न 5:
एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0 g है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों एव प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो। सरलता के | लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णतः
परमाणुओं का बना है। (
का द्रव्यमान = 82,92960u)।
हल:
में प्रोटॉन (Z) = 29, न्यूट्रॉन = 63 – 29= 34
∴ न्यूक्लिऑनों का कुल द्रव्यमान
= 29 प्रोटॉनों का द्रव्यमान + 34 न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान
= (29 x 1.00783+ 34 x 1.00867) u = 63.52185 u
∴ द्रव्यमान क्षति Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान –
नाभिक का द्रव्यमान
= 63.52185 u – 62.92960 u = 0.59225 u
∴
नाभिक की बन्धन ऊर्जा
EB = 0.53225 x 931 MeV = 551.385 MeV
m = 3.0 ग्राम में परमाणुओं (नाभिकों) की संख्या
=
x आवोगाद्रो संख्या
=
x 6.02 x 1023 = 2.86 x 1022
∴ सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= 2.86 x 1022 x EB
= 2.86 x 1022 x 551.385 MeV
= 1.6 x 1025 MeV
एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0 g है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों एव प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो। सरलता के | लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णतः
हल:
∴ न्यूक्लिऑनों का कुल द्रव्यमान
= 29 प्रोटॉनों का द्रव्यमान + 34 न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान
= (29 x 1.00783+ 34 x 1.00867) u = 63.52185 u
∴ द्रव्यमान क्षति Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान –
= 63.52185 u – 62.92960 u = 0.59225 u
∴
EB = 0.53225 x 931 MeV = 551.385 MeV
m = 3.0 ग्राम में परमाणुओं (नाभिकों) की संख्या
=
=
∴ सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= 2.86 x 1022 x EB
= 2.86 x 1022 x 551.385 MeV
= 1.6 x 1025 MeV
प्रश्न 6:
निम्नलिखित के लिए नाभिकीय समीकरण लिखिए
(i)
का α- क्षय
(ii)
का α- क्षय
(iii)
P का β– – क्षय
(iv)
का β– -क्षय
(v)
का β+ -क्षय
(vi)
Tc का β+ -क्षय
(vii)
120Xe का इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण
हल:

निम्नलिखित के लिए नाभिकीय समीकरण लिखिए
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
हल:

प्रश्न 7:
एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक की अर्धायु T वर्ष है। कितने समय के बाद इसकी ऐक्टिवता, प्रारम्भिक ऐक्टिवता की (a) 3.125%, तथा (b) 1% रह जाएगी।
हल:
(a) माना समस्थानिक की प्रारम्भिक रेडियोऐक्टिवता = R0
माना समयान्तराल n अद्धयुकालों के पश्चात् शेष रेडियोऐक्टिवता = R
प्रश्नानुसार, R =R0 का 3.125%


एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक की अर्धायु T वर्ष है। कितने समय के बाद इसकी ऐक्टिवता, प्रारम्भिक ऐक्टिवता की (a) 3.125%, तथा (b) 1% रह जाएगी।
हल:
(a) माना समस्थानिक की प्रारम्भिक रेडियोऐक्टिवता = R0
माना समयान्तराल n अद्धयुकालों के पश्चात् शेष रेडियोऐक्टिवता = R
प्रश्नानुसार, R =R0 का 3.125%


प्रश्न 8:
जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक
के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव
के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमण्डल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त सन्तुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है।
की ज्ञात अर्धायु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली
कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धान्त है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिन्धु घाटी सभ्यता की सन्निकट आयु का आकलन कीजिए।
हल:
दिया है, R0 = 15 क्षय प्रति मिनट
R = 9 क्षय प्रति मिनट, T1/2 = 5730 वर्ष
सूत्र R= R0e-λt से, 9 = 15e-λt

जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक
हल:
दिया है, R0 = 15 क्षय प्रति मिनट
R = 9 क्षय प्रति मिनट, T1/2 = 5730 वर्ष
सूत्र R= R0e-λt से, 9 = 15e-λt

प्रश्न 9:
8.0 mCi सक्रियता का रेडियोऐक्टिव स्रोत प्राप्त करने के लिए
की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
की अर्धायु 5.3 वर्ष है।
हल:
दिया है, सक्रियता R = 80 mCi= 80 x 10-3 x 3.7 x 1010 विघटन s-1
= 29.6 x 107 विघटन s-1
T1/2 = 5.3 वर्ष (∵ 1 क्यूरी = 3.7 x 1010 विघटन s-1)
= 5.3 x 365 x 24 x 60 x 60s


8.0 mCi सक्रियता का रेडियोऐक्टिव स्रोत प्राप्त करने के लिए
हल:
दिया है, सक्रियता R = 80 mCi= 80 x 10-3 x 3.7 x 1010 विघटन s-1
= 29.6 x 107 विघटन s-1
T1/2 = 5.3 वर्ष (∵ 1 क्यूरी = 3.7 x 1010 विघटन s-1)
= 5.3 x 365 x 24 x 60 x 60s


प्रश्न 10:
की अर्धायु 28 वर्ष है। इस समस्थानिक के 15 mg की विघटन दर क्या है?
हल:
दिया है, पदार्थ का द्रव्यमान = 15 x 10-3
तथा T1/2 = 28 वर्ष = 28 x 365 x 24 x 60 x 60 s = 88.3 x 107s

हल:
दिया है, पदार्थ का द्रव्यमान = 15 x 10-3
तथा T1/2 = 28 वर्ष = 28 x 365 x 24 x 60 x 60 s = 88.3 x 107s

प्रश्न 11:
स्वर्ण के समस्थानिक
एवं रजत के समस्थानिक
की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।
हल:
किसी नाभिक की त्रिज्या निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है
R = R0A1/3
जहाँ A = परमाणु द्रव्यमान जबकि R0 = नियतांक
यहाँ
के लिए, A1 = 197
तथा
के लिए, Ag = 107

स्वर्ण के समस्थानिक
हल:
किसी नाभिक की त्रिज्या निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है
R = R0A1/3
जहाँ A = परमाणु द्रव्यमान जबकि R0 = नियतांक
यहाँ
तथा

प्रश्न 12:
(a)
एवं (b)
नाभिकों के α-क्षय में उत्सर्जित -कणों का Q-मान एवं
गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
दिया है : m (
) = 226.02540u, m(
) = 222.01750u
m(
) = 220.01137u, m(
) = 216.00189u
हल:
(a)
का z-क्षय निम्न अभिक्रिया के अनुसार होगा

(a)
गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
दिया है : m (
m(
हल:
(a)

प्रश्न 13:
रेडियोन्यूक्लाइड
का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है

उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा 0.960 Mev है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं
m(
) = 11.011434u तथा m(
) = 11.009305u
Q-मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
हल:
दिया गया समीकरण


उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की महत्तम गतिज ऊर्जा 0.960 MeV है जो कि Q-मान के तुल्य है।
∵ उत्पाद नाभिक पॉजिट्रॉन की तुलना में अत्यधिक भारी है; अत: इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी, पुन: चूंकि पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा Q – मान के तुल्य है; अतः न्यूट्रिनो भी लगभग शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित होगा।
रेडियोन्यूक्लाइड

उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा 0.960 Mev है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं
m(
Q-मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
हल:
दिया गया समीकरण


उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की महत्तम गतिज ऊर्जा 0.960 MeV है जो कि Q-मान के तुल्य है।
∵ उत्पाद नाभिक पॉजिट्रॉन की तुलना में अत्यधिक भारी है; अत: इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी, पुन: चूंकि पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा Q – मान के तुल्य है; अतः न्यूट्रिनो भी लगभग शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित होगा।
प्रश्न 14:
का नाभिक, β– उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस β-क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
m (
) = 22.994466 um(
) = 22.089770u
हल:
नाभिक के β-क्षय का समीकरण निम्नलिखित है

∵
नाभिक,
तथा ऐन्टिन्यूट्रिनो की तुलना में अत्यधिक भारी है; अत: इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी। β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की अधिकतम ऊर्जा ९ मान के बराबर अर्थात् 4.37 MeV होगी।
m (
हल:

∵
प्रश्न 15:
किसी नाभिकीय अभिक्रिया A+b→ C+d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है: Q= [mA +mb – mc – md] c2
जहाँ दिए गए द्रव्यमान, नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी।

हल:
(i) दी गई अभिक्रिया निम्नलिखित है

Q-मान धनात्मक है; अत: यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
किसी नाभिकीय अभिक्रिया A+b→ C+d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है: Q= [mA +mb – mc – md] c2
जहाँ दिए गए द्रव्यमान, नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी।

हल:
(i) दी गई अभिक्रिया निम्नलिखित है

Q-मान धनात्मक है; अत: यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
प्रश्न 16:
माना कि हम
नाभिक के दो समान अवयवों
में विखण्डन पर विचार करें।
क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखण्डन सम्भव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
दिया है : m(
) = 55.93494u एवं m(
) = 27.98191u
हल:
→
+
+Q
∴ Q = [m(
) – 2 x m (
)]x 931 MeV
= [55.93494- 2x 27.98191]x 931 MeV
= -26.92 MeV
चूँकि Q का मान ऋणात्मक है अतः विखण्डन सम्भव नहीं है।
माना कि हम
क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखण्डन सम्भव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
दिया है : m(
हल:
∴ Q = [m(
= [55.93494- 2x 27.98191]x 931 MeV
= -26.92 MeV
चूँकि Q का मान ऋणात्मक है अतः विखण्डन सम्भव नहीं है।
प्रश्न 17:
के विखण्डन गुण बहुत कुछ
से मिलते-जुलते हैं। प्रति विखण्डन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 MeV है। यदि 1kg शुद्ध
के सभी परमाणु विखण्डित हों तो कितनी MeV ऊर्जा विमुक्त होगी?
हल:
यहाँ
के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा = 180 MeV
का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 239g
∴
प्लूटोनियम में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 x 1023

हल:
यहाँ
∴

प्रश्न 18:
किसी 1000 MW विखण्डन रिएक्टर के आधे ईधन का 5.00 वर्ष में व्यय हो जाता है। प्रारम्भ में इसमें कितना
था? मान लीजिए कि रिएक्टर 80% समय कार्यरत रहता है, इसकी सम्पूर्ण ऊर्जा
के विखण्डन से ही उत्पन्न हुई है; तथा
एन्यूक्लाइड केवल विखण्डन प्रक्रिया में ही व्यय होता है।
हल:
रिएक्टर की शक्ति P= 1000 MW = 1000 x 106 Js-1= 109 Js-1
समय t = 5.0 वर्ष = 5 x 365 x 24 x 60 x 60s
= 1.577 x 108 s
∴ 5 वर्ष में रिएक्टर में उत्पन्न ऊर्जा (जबकि यह 80% समय ही कार्य करता है)
E = 80% t x P
=
x 1.577 x 108 x 169
: = 1.2616 x 1017J
∵
के एक परमाणु के विखण्डन से औसतन 200 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है।
∴ 100 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से
या 200 x 1.6 x 10-13J ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से


किसी 1000 MW विखण्डन रिएक्टर के आधे ईधन का 5.00 वर्ष में व्यय हो जाता है। प्रारम्भ में इसमें कितना
हल:
रिएक्टर की शक्ति P= 1000 MW = 1000 x 106 Js-1= 109 Js-1
समय t = 5.0 वर्ष = 5 x 365 x 24 x 60 x 60s
= 1.577 x 108 s
∴ 5 वर्ष में रिएक्टर में उत्पन्न ऊर्जा (जबकि यह 80% समय ही कार्य करता है)
E = 80% t x P
=
: = 1.2616 x 1017J
∵
∴ 100 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से
या 200 x 1.6 x 10-13J ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से


प्रश्न 19:
2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैम्प कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है।

हल:

2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैम्प कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है।

हल:

प्रश्न 20:
दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (संकेत-कूलॉम अवरोध की ऊँचाई का मान इन ड्यूट्रॉन के बीच लगने वाले उस कूलॉम प्रतिकर्षण बल के बराबर होता है जो एक-दूसरे को सम्पर्क में रखे जाने पर उनके बीच आरोपित होता है। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 fm प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
हल:
प्रत्येक ड्यूट्रॉन पर आवेश
q1 = q2 = +1.6 x 10-19C
ऊर्जा के पदों में कुलॉम अवरोध (विभव प्राचीर)
माना प्रारम्भ में प्रत्येक ड्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा K है। जब ये दोनों एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो सम्पूर्ण ऊर्जा विद्युत स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। ∴ ऊर्जा संरक्षण से,

दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (संकेत-कूलॉम अवरोध की ऊँचाई का मान इन ड्यूट्रॉन के बीच लगने वाले उस कूलॉम प्रतिकर्षण बल के बराबर होता है जो एक-दूसरे को सम्पर्क में रखे जाने पर उनके बीच आरोपित होता है। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 fm प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
हल:
प्रत्येक ड्यूट्रॉन पर आवेश
q1 = q2 = +1.6 x 10-19C
ऊर्जा के पदों में कुलॉम अवरोध (विभव प्राचीर)
माना प्रारम्भ में प्रत्येक ड्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा K है। जब ये दोनों एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो सम्पूर्ण ऊर्जा विद्युत स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। ∴ ऊर्जा संरक्षण से,

प्रश्न 21:
समीकरण R= R0A1/3 के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य को घनत्व लगभग अचर है (अर्थात् A पर निर्भर नहीं करता है)। यहाँ R0 एक नियतांक है एवं A नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
हल:
∵ नाभिक की द्रव्यमान संख्या = A
∴ नाभिक का द्रव्यमान m = Au
= A x 1.66 x 10-27kg

∵ यह घनत्व नाभिक की द्रव्यमान संख्या A से मुक्त है; अत: हम कह सकते हैं कि नाभिकीय द्रव्य का , घनत्व लगभग अचर है।।
समीकरण R= R0A1/3 के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य को घनत्व लगभग अचर है (अर्थात् A पर निर्भर नहीं करता है)। यहाँ R0 एक नियतांक है एवं A नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
हल:
∵ नाभिक की द्रव्यमान संख्या = A
∴ नाभिक का द्रव्यमान m = Au
= A x 1.66 x 10-27kg

∵ यह घनत्व नाभिक की द्रव्यमान संख्या A से मुक्त है; अत: हम कह सकते हैं कि नाभिकीय द्रव्य का , घनत्व लगभग अचर है।।
प्रश्न 22:
किसी नाभिक से β+ (पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आन्तरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनो, ν उत्सर्जित करता है)।

दर्शाइए कि यदि β+ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परन्तु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
हल:
पॉजिट्टॉन उत्सर्जन की अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है

समीकरण (3) व (4) से स्पष्ट है। यदि पॉजिट्रॉन उत्सर्जन [अभिक्रिया (1)] ऊर्जा दृष्टि से अनुमत है तो इस अभिक्रिया का Q-मान अर्थात्
Q1 धनात्मक होगी।
अर्थात् Q1 > 0
Q2 > Q1 अतः Q1 > 0 ⇒ Q1 > 0
अर्थात् तब अभिक्रिया (2) का -मान भी धनात्मक होगा अर्थात् ऊर्जा दृष्टि से इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी अनुमत है।
अब इस अभिक्रिया के विलोम पर विचार कीजिए,
स्पष्ट है कि इस अभिक्रिया का Q-मान – Q2 के बराबर होगा।
∴ Q2> 0; अतः Q3 =-Q2 < 0
∵ इस अभिक्रिया का 2-मान ऋणात्मक है; अतः यह अभिक्रिया ऊर्जा दृष्टि से अनुमत नहीं है।
किसी नाभिक से β+ (पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आन्तरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनो, ν उत्सर्जित करता है)।

दर्शाइए कि यदि β+ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परन्तु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
हल:
पॉजिट्टॉन उत्सर्जन की अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है

समीकरण (3) व (4) से स्पष्ट है। यदि पॉजिट्रॉन उत्सर्जन [अभिक्रिया (1)] ऊर्जा दृष्टि से अनुमत है तो इस अभिक्रिया का Q-मान अर्थात्
Q1 धनात्मक होगी।
अर्थात् Q1 > 0
Q2 > Q1 अतः Q1 > 0 ⇒ Q1 > 0
अर्थात् तब अभिक्रिया (2) का -मान भी धनात्मक होगा अर्थात् ऊर्जा दृष्टि से इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी अनुमत है।
अब इस अभिक्रिया के विलोम पर विचार कीजिए,
स्पष्ट है कि इस अभिक्रिया का Q-मान – Q2 के बराबर होगा।
∴ Q2> 0; अतः Q3 =-Q2 < 0
∵ इस अभिक्रिया का 2-मान ऋणात्मक है; अतः यह अभिक्रिया ऊर्जा दृष्टि से अनुमत नहीं है।
अतिरिक्त अभ्यास
प्रश्न 23:
आवर्त सारणी में मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान 24.312u दिया गया है। यह औसत मान, पृथ्वी पर इसके समस्थानिकों की सापेक्ष बहुलता के आधार पर दिया गया है। मैग्नीशियम के तीनों समस्थानिक तथा उनके द्रव्यमान इस प्रकार हैं
(28.98504u),
(24.98584) एवं
(25.98259u)। प्रकृति में प्राप्त मैग्नीशियम में
की (द्रव्यमान के अनुसार) बहुलता 78.99% है। अन्य दोनों समस्थानिकों की बहुलता का परिकलन कीजिए।
हल:
दिया है, मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान = 24.312u
समस्थानिक की बहुलता = 78.99%
माना समस्थानिक
की बहुलता a% है।
समस्थानिक की बहुलता = 100 – 78.99- a
= (21.01 – a) %

आवर्त सारणी में मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान 24.312u दिया गया है। यह औसत मान, पृथ्वी पर इसके समस्थानिकों की सापेक्ष बहुलता के आधार पर दिया गया है। मैग्नीशियम के तीनों समस्थानिक तथा उनके द्रव्यमान इस प्रकार हैं
हल:
दिया है, मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान = 24.312u
माना समस्थानिक
= (21.01 – a) %

प्रश्न 24:
न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा (Separation energy), परिभाषा के अनुसार वह ऊर्जा है, जो किसी नाभिक से एक न्यूट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक होती है। नीचे दिए गए आँकड़ों का इस्तेमाल करके
एवं
नाभिकों की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा ज्ञात कीजिए।

हल:
की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा
न्यूट्रॉन पृथक्करण अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है

∴ Qका मान ऋणात्मक है अर्थात् उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴ न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा 8.36 MeV है।
न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा (Separation energy), परिभाषा के अनुसार वह ऊर्जा है, जो किसी नाभिक से एक न्यूट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक होती है। नीचे दिए गए आँकड़ों का इस्तेमाल करके

हल:
न्यूट्रॉन पृथक्करण अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है

∴ Qका मान ऋणात्मक है अर्थात् उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴ न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा 8.36 MeV है।
(ii)
की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा
की न्यूट्रॉन पृथक्करण समीकरण निम्नलिखित है

∴ Q का मान ऋणात्मक है; अत: उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴
की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा 13.06 MeV है।

∴ Q का मान ऋणात्मक है; अत: उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴
प्रश्न 25:
किसी स्रोत में फॉस्फोरस के दो रेडियो न्यूक्लाइड निहित हैं
(T1/2 = 14.3d) एवं
(1/2 = 25.3d)। प्रारम्भ में
से 10% क्षय प्राप्त होता है। इससे 90% क्षय प्राप्त करने के लिए कितने समय प्रतीक्षा करनी होगी?
हल:
माना प्रारम्भ में
तथा
को रेडियोऐक्टिवताएँ R01 व R02 हैं तथा । समय पश्चात् इनकी रेडियोऐक्टिवताएँ R1 व R2 हैं।
तब प्रारम्भ में, पदार्थ की कुल सक्रियता = R01 + R02
किसी स्रोत में फॉस्फोरस के दो रेडियो न्यूक्लाइड निहित हैं
हल:
माना प्रारम्भ में
तब प्रारम्भ में, पदार्थ की कुल सक्रियता = R01 + R02


प्रश्न 26:
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में एक नाभिक, α -कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय-प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए

इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिएQ-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से सम्भव हैं।
हल:
दी गई समीकरण निम्नलिखित है

कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में एक नाभिक, α -कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय-प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए

इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिएQ-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से सम्भव हैं।
हल:
दी गई समीकरण निम्नलिखित है

प्रश्न 27:
तीव्र न्यूट्रॉनों द्वारा
के विखण्डन पर विचार कीजिए। किसी विखण्डन प्रक्रिया में प्राथमिक अंशों (Primary fragments) के बीटा-क्षय के पश्चात कोई न्यूट्रॉन उत्सर्जित नहीं होता तथा
तथा
अन्तिम उत्पाद प्राप्त होते हैं। विखण्डन प्रक्रिया के लिए के मान का परिकलन कीजिए। आवश्यक आँकड़े इस प्रकार हैं

हल:

तीव्र न्यूट्रॉनों द्वारा

हल:

प्रश्न 28:
D.T अभिक्रिया (ड्यूटीरियम-ट्राइटियम संलयन),
+
→
+ n पर विचार कीजिए।
(a) नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान Mev में ज्ञात कीजिए।

(b) इयूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 fm मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है? अभिक्रिया प्रारम्भ करने के लिए गैसों (0 तथा 1 गैसें) को किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
(संकेत : किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा = 2 (3KT/2); K: बोल्ट्ज़मान नियतांक तथा T = परम ताप)
हल:
(a) दी गई अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है


D.T अभिक्रिया (ड्यूटीरियम-ट्राइटियम संलयन),
(a) नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान Mev में ज्ञात कीजिए।

(b) इयूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 fm मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है? अभिक्रिया प्रारम्भ करने के लिए गैसों (0 तथा 1 गैसें) को किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
(संकेत : किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा = 2 (3KT/2); K: बोल्ट्ज़मान नियतांक तथा T = परम ताप)
हल:
(a) दी गई अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है


प्रश्न 29:
नीचे दी गई क्षय-योजना में, γ-क्षयों की विकिरण आवृत्तियाँ एवं β-कणों की अधिकतम गतिज ऊर्जाएँ ज्ञात कीजिए। दिया है:

हल:
चित्र से, E1 =
की निम्नतम ऊर्जा स्तर में ऊर्जा = 0 MeV
E2 =
की प्रथम उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = 0.412 MeV
E3 =
की द्वितीय उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = 1.088 MeV
माना उत्सर्जित γ फोटॉनों (γ1,γ2 व γ3) की आवृत्तियाँ क्रमशः ν1,ν2 व ν3 हैं।

जबकि इन फोटॉनों की ऊर्जाएँ निम्नलिखित हैं
E (γ1) = E3 – E1 = 1.088 MeV
E (γ2)= E2– E1 = 0.412 Mev
E (γ3) = E3 – E2 = 1.088- 0.412 = 0.676 MeV
के β–1-क्षय में Au नाभिक पहले एक β कण उत्सर्जित करता है तत्पश्चात् γ1-फोटॉन को । उत्सर्जित करके
नाभिक में बदल जाता है; अतः
के β–1-क्षय का समीकरण निम्नलिखित है

यहाँ E(β–1) तथा E (γ1) इन कणों की ऊर्जाएँ हैं। स्पष्ट है कि E(β–1) का मान अधिकतम होगा यदि
की गतिज ऊर्जा शून्य हो। अर्थात् अभिक्रिया की सम्पूर्ण ऊर्जा केवल β-कण तथा γ-कोटॉन की ऊर्जा के रूप में निकलें।।
∴ β -कण की महत्तम गतिज ऊर्जा

के β–2क्षय में Au नांभिक पहले β-कण उत्सर्जित करता है तत्पश्चात् γ2 फोटॉन उत्सर्जित करता हुआ
नाभिक में बदल जाता है।
इसे क्षय का समक्रण निम्नलिखित है

नीचे दी गई क्षय-योजना में, γ-क्षयों की विकिरण आवृत्तियाँ एवं β-कणों की अधिकतम गतिज ऊर्जाएँ ज्ञात कीजिए। दिया है:

हल:
चित्र से, E1 =
E2 =
E3 =
माना उत्सर्जित γ फोटॉनों (γ1,γ2 व γ3) की आवृत्तियाँ क्रमशः ν1,ν2 व ν3 हैं।

जबकि इन फोटॉनों की ऊर्जाएँ निम्नलिखित हैं
E (γ1) = E3 – E1 = 1.088 MeV
E (γ2)= E2– E1 = 0.412 Mev
E (γ3) = E3 – E2 = 1.088- 0.412 = 0.676 MeV

यहाँ E(β–1) तथा E (γ1) इन कणों की ऊर्जाएँ हैं। स्पष्ट है कि E(β–1) का मान अधिकतम होगा यदि
∴ β -कण की महत्तम गतिज ऊर्जा

इसे क्षय का समक्रण निम्नलिखित है

प्रश्न 30:
सूर्य के अभ्यंतर में (a) 1kg हाइड्रोजन के संलयन के समय विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (b) विखण्डन रिएक्टर में 1.0 kg
के विखण्डन में विमुक्त ऊर्जा का परिकलेन कीजिए। (c) प्रश्न के खण्ड (a) तथा (b) में विमुक्त ऊर्जाओं की तुलना
कीजिए।
हल:
(a) सूर्य के अभ्यन्तर में हाइड्रोजन के 4 परमाणु निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार संलयित होकर हीलियम परमाणु का निर्माण करते हैं तथा लगभग 26 Mev ऊर्जा उत्पन्न होती है।


सूर्य के अभ्यंतर में (a) 1kg हाइड्रोजन के संलयन के समय विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (b) विखण्डन रिएक्टर में 1.0 kg
कीजिए।
हल:
(a) सूर्य के अभ्यन्तर में हाइड्रोजन के 4 परमाणु निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार संलयित होकर हीलियम परमाणु का निर्माण करते हैं तथा लगभग 26 Mev ऊर्जा उत्पन्न होती है।


प्रश्न31:
मान लीजिए कि भारत का लक्ष्य 2020 तक200,000 MW विद्युत शक्ति जनन का है। इसका 10% नाभिकीय शक्ति संयंत्रों से प्राप्त होना है। माना कि रिएक्टर की औसत उपयोग दक्षता (ऊष्मा को विद्युत में परिवर्तित करने की क्षमता) 25% है। 2028 के अन्त तक हमारे देश को प्रति वर्ष कितने विखण्डनीय यूरेनियम की आवश्यकता होगी।
प्रति विखण्डन उत्सर्जित ऊर्जा 200 MeV है।
हल:
कुल ऊर्जा लक्ष्य = 200,000 MW
∴ नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त शक्ति = 10% x 200,000 MW
=
x 200,000 x 106w
= 2 x 1010w
∴ प्रतिवर्ष नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त ऊर्जा = 2 x 1010Js-1x 1 x 365 x 24 x 60 x 60s
= 6.31 x 1017 J
माना संयंत्रों में विखण्डन हेतु x kg
की प्रतिवर्ष आवश्यकता होती है।


मान लीजिए कि भारत का लक्ष्य 2020 तक200,000 MW विद्युत शक्ति जनन का है। इसका 10% नाभिकीय शक्ति संयंत्रों से प्राप्त होना है। माना कि रिएक्टर की औसत उपयोग दक्षता (ऊष्मा को विद्युत में परिवर्तित करने की क्षमता) 25% है। 2028 के अन्त तक हमारे देश को प्रति वर्ष कितने विखण्डनीय यूरेनियम की आवश्यकता होगी।
हल:
कुल ऊर्जा लक्ष्य = 200,000 MW
∴ नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त शक्ति = 10% x 200,000 MW
=
= 2 x 1010w
∴ प्रतिवर्ष नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त ऊर्जा = 2 x 1010Js-1x 1 x 365 x 24 x 60 x 60s
= 6.31 x 1017 J
माना संयंत्रों में विखण्डन हेतु x kg


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